शायद हाँ..
क्योंकि उसमे कुछ ऐसा था जिसकी तुमने मुझसे उम्मीद ही नही की थी,
या शायद वह ऐसा कुछ था जिसे तुम इतनी जल्दी सुनना नही चाहती थी,
या जैसा तुमने समझा उसके लिए हम एक दूसरे को जानते ही कितना थे...
पर उस कहने सुनने कुछ न बोलने के चलते आज तक तुम्हारे बारे में न मालूम कितने विश्लेषण चरित-चितरन सुन चूका हूँ.. और हर बार मुझे तुम्हारी तरफ होना पड़ता है. नहीं भी कुछ बोलता तो भी वे सब तुम्हारी तरफ ही मानते हैं..
पता नहीं यह अगियाबैताल किस्से तुम्हारे तक भी पहुचती होंगी भी या नही..अगर कान तक जाते हैं तो क्या तुम भी वही करती हो जो मैं करता हूँ..