
अब वक़्त जबकि माधुरी दीक्षित और राजश्री प्रोडक्शन की फ़िल्म हम आपके हैं कौन? से बहुत आगे निकलकर सोनाक्षी सिन्हा की उघड़ी हुई मुलायम, फिसलन भरी पीठ वाले खुले ब्लाउज़ तक पहुँच चुका है, मैं तुम्हारे ढके स्तनों को छिपाने की कोशिश देख रहा हूँ। तुम कैसे आकर कैमरे के सामने खड़ी हो गयी होगी। क्या उदय प्रकाश अगर आज पीली छतरी वाली लड़की लिखते, तब उनका ध्यान तुम्हारी तरफ़ जाता। बस ऐसे ही फ़िजूल में पूछ रहा हूँ। मुझे पता है, नहीं जाता। वहाँ पोस्टर उघड़ी हुई पीठ का था। उघड़े हुए स्तन का नहीं।
मेरे अंदर यह सवाल किसी सूई की तरह चुभ रहा है, सन् अट्ठारह सौ पैंसठ के लगभग बंबई में खींची गयी इस तस्वीर में तुम कहाँ से आ गयी। तुम कौन हो। किसके साथ तुम परदेस चली आई। शायद तुम ओमप्रकाश वाल्मीकि की कहानी खानाबदोश से निकलकर चली आई होगी? तुमने उसके साथ शादी तो की थी न? पर अचानक तुम मुझे वारेन हेस्टिंग के साँड में क्यों दिखाई दे रही हो..? तुमपशतुन तो नहीं हो, कोई तुमसे ज़बरदस्ती शादी तो नहीं करना चाहता..बता दो, बस एक बार..शायद तब नींद सही से आ पाये..
नहीं। तुम शायद यह सब नहीं हो। मुझे पता है। तुम पहली गिरमिटिया हो। तुम जलडमरू मध्य में डूब कर मर गयी। तुम्हें तैरना कहाँ आता था।
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