
उसी देह से आती गंध में भूल गया, उससे पूछना, कैसे होगा ख़त्म। मैं बस अपने सपने में उसके साथ कुछ देर साथ बैठे रहने के ख़याल से भर गया। अभी भी हम साथ थे। पर अकेले नहीं थे। उसके चश्में का फ्रेम मुझे स्टेचू ऑफ लिबर्टी की नाक पर चढ़ गया मालुम पड़ा। मुझे उससे समता, समानता बंधुत्व सीखना है। यह मुझमें तुम ही ला सकती हो। ऐसा सोच उसके थोड़ा और पास जाने लगा। कि रुक गया। इस तरह दिमाग चलने पर दिल धड़कना बंद कर देता है। सच वह बंद हो गया और हम दोनों एक दूसरे से मुक्त हो गए। छूने की दूरी से देखने की दूरी तक।
अगले ही पल हमने तय किया हम बाजीराव मस्तानी नहीं देखेंगे। हमने मोहब्बत की है, अय्याशी नहीं की है।
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